ईपण्डित जी ने अपने चिट्ठे पर मुझे टैग कर पाँच यक्ष-प्रश्न पूछे हैं, जिनका सरल, सपाट, जवाब देने का प्रयास कर रहा हूँ।
१. कम्प्यूटर पर हिन्दी टाइपिंग के बारे में सबसे पहले आपने कब सुना और कैसे, अपने कम्प्यूटर में हिन्दी में सबसे पहले किस सॉफ्टवेयर में/द्वारा टाइप किया और कब, आपको उसके बारे में पता कैसे चला ?
उत्तर : सर्वप्रथम 1986 में Apple Machintos कम्प्यूर में हिन्दी डी.टी.पी. में सहयोग करना पड़ा था। 1990 में। जब हमारे कार्यालय में पी.सी. (XT), स्थापित हुए, उस काल में रैम सिर्फ 640K, हार्ड डिस्क सिर्फ 20 MB की आती थी। इस सीमित रिसोर्सेस में जटिल भारतीय भाषाओं/लिपियों का संसाधन सम्भव न था। अतः कानपुर आई.आई.टी. तथा सी-डैक द्वारा विशेष हार्डवेयर (GIST) कार्ड विकसित किया गया था, जिसके रोम-चिप्स में भारतीय भाषाओं के फोंट्स तथा प्रोग्रामों को सज्जित किया गया था। 1986 में भारत सरकार द्वारा सभी कम्प्यूटर प्रणालियाँ द्विभाषी (हिन्दी-अंग्रेजी) ही लगाने के आदेश जारी हो चुके थे। जिसके अनुपालन में 1991 में एक कम्प्यूटर में सी-डैक का हार्डवेयर GIST कार्ड लगाया गया था, जो डैटाबेस को PC-ISCII कूटों में तथा भारतीय भाषाओं के पाठ (Text) ISCII-1991 कूटों में संसाधित करता था।
इस पर सिर्फ INSCRIPT कुँजीपटल में ही काम हो पाता था। पहले से हिन्दी टाइपराइटर में अच्छी गति से टाइप का अभ्यस्त होने के कारण अत्यन्त कष्टकर अनुभव हुआ। हिन्दी टाइपराइटर कुञ्जीपटल को भूलने में काफी परिश्रम करना पड़ा। लगभग दो वर्ष लग गए।
२. आपका हिन्दी चिट्ठाजगत में आगमन कैसे हुआ, इसके बारे में कैसे पता लगा, पहला हिन्दी चिट्ठा/पोस्ट कौन सा पढ़ा/पढ़ी ? अपना चिट्ठा शुरु करने की कैसे सूझी ?
उत्तर : हिन्दी चिट्ठे पिछले दो वर्षों से देखता/पढ़ता आया था। पहला चिट्ठा किसे कहूँ... किसे नहीं... याद नहीं कर पाता। लेखन का नशा तो बचपन से था। पत्र-पत्रिकाओं प्रकाशित कुछ शोध लेखों की प्रतियों की भारी मांग होती थी। अतः प्रतियाँ भेजने के झण्झट से बचने के लिए अपने कुछ उपयोगी लेख किसी वेबसाइट पर डालने की सोची। पहले याहू के जियोसिटिज में प्रयास किया, किन्तु सफलता न मिली, याहू में हिन्दी ई-मेल के बिगड़ने तथा बारम्बार view->encoding->Unicode/utf8 पर क्लिक करने से से तंग आकर जब जी-मेल में खाता खोला अनुनाद जी के निमन्त्रण पर तो अपना ब्लॉग बनाने का खुल-जा सिम-सिम हुआ। इसके पहले 'हिन्दी देवलोक' नाम ब्लॉग बनाया था old blogger से, id खो जाने के कारण फिर पहुँच नहीं पाया।
३. चिट्ठा लिखना सिर्फ छपास पीडा शांत करना है क्या ? आप अपने सुख के लिये लिखते हैं कि दूसरों के (दुख के लिये ;-) क्या इससे आप के व्यक्तित्व में कोई परिवर्तन या निखार आया ? टिप्पणी का आपके जीवन में क्या और कितना महत्त्व है?
उत्तर : जिन्दगी में कुछ ठोकरें खाने के तो कुछ गाय की पूँछ पकड़कर आराम से लक्ष्य पर पहुँचने के जो अनुभव हुए हैं, उन्हें दूसरों को बाँट देना चाहता हूँ, ताकि दूसरे लोगों को वैसी ठोकरें न खानी पड़े और वे भी लक्ष्य तक आराम से पहुँच सकें।
टिप्पणियाँ ब्लाग में वैसी ही लगती हैं = जैसे कवि-सम्मलेन में आपकी कविता सुनकर स्रोताओं की तालियाँ
४. अपने जीवन की कोई उल्लेखनीय, खुशनुमा या धमाकेदार घटना(एं) बताएं, यदि न सूझे तो बचपन की कोई खास बात जो याद हो बता दें।
एक बार एक पहाड़ी पर एक पूर्णिमा की शाम को एक और सूर्यास्त हो रहा था, दूसरी ओर चन्द्रोदय। योग और ध्यान में मग्न था कुछ बन्धुओं के साथ... कुछ मिनटों तक सूर्य और चन्द्रमा दोनों ही बिल्कुल एक समान, एक जैसे दिखाई दिए... दिशाभ्रम-सा हो गया... अन्तर ही नहीं कर पाया कोई कि कौन-सा चाँद है और कौन-सा सूरज? दोनों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से मन-मस्तिष्क के तरल-तन्त्रिका-तत्वों के सरिता-सागर में इतना बड़ा, इतना विशाल ज्वार आया..., आनन्दातिरेक छाया..., मन मस्ताया..., कुण्डलिनी जाग उठी.... सह्स्र-दल-कमल खिलने लगा... ... ...
बस... शब्दों में कैसे?... आप स्वयं अनुभव की परिकल्पना कर सकते हैं...
५. यदि भगवान आपको भारतवर्ष की एक बात बदल देने का वरदान दें, तो आप क्या बदलना चाहेंगे?
उत्तर : हिन्दी समग्र विश्व-ब्रह्माण्ड की मौलिक भाषा हो..., समस्त कम्प्टूर प्रोग्रामिंग सिर्फ हिन्दी में हो.
अब मेरे कुछ प्रश्न हैं जिनका उत्तर अपेक्षित है सभी हिन्दी के विद्वानों से-- (अभी हिन्दी ब्लागिंग गुरुओं से सम्पर्क स्थापित कर रहा हूँ, जिन्हें टैग बाद में करूँगा।)
1. हिन्दी(देवनागरी) में कुल कितने अक्षर हैं? (सन्दर्भ: इस परिचर्चा में देखें।)
2. देवनागरी संगणन की दृष्टि के जटिल complex script में क्यों रखी गई हैं?
3. हिन्दी(देवनागरी) को अंग्रेजी से भी सरल बनाने के लिए क्या सुझाव देना चाहेंगे आप?
4. आपका सपने में किसे देखना पसन्द करेंगे?
5. अंग्रेजों ने भारतीय जनता पर अंग्रेजी थोपने के पहले क्या किया था?
1 comment:
वाह आपको टैग करने के पीछे जो उद्देश्य था वो सार्थक हुआ। सभी सवालों के बखूबी जवाब दिए आपने।
मेरा ख्याल है कि आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा हमें। आपसे अनुरोध है कि आगे भी कम्प्यूटर पर हिन्दी के विकास की कहानी बताते रहें। हममें से अधिकतर लोगों ने यूनीकोड के जन्म के उपरांत हिन्दी लिखना शुरु किया है। अतः इसके इतिहा़स के बारे में हमें जानकारी है नहीं।
हिन्दी कम्प्यूटिंग के बारे में तो आप लिखते ही रहेंगे, इस हेतु तो मुझे कहने की आवश्यकता नहीं। मेरा अनुरोध यही है कि आप हिन्दी कप्म्यूटिंग के इतिहास और अपने संस्मरण भी हमसे साझा करते रहिएगा।
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