31 May 2018

विश्व तम्बाखू निरोध दिवस पर नई दृष्टि

http://www.who.int/campaigns/no-tobacco-day/2018/event/en/

आज विश्व तम्बाखू निरोध दिवस है। विश्व में विभिन्न स्थानों पर तम्बाखू के कुप्रभाव दर्शाते हुए इसके उपयोग से दूर रहने के लिए सेमिनार, पोस्टर, चर्चा-प्रचार गोष्ठियों आदि का आयोजन हुआ। धूमपान व गुटखा, गुंडी, जर्दा आदि से बचने के लिए जागृति अभियान चलाए गए। बताया गया कि प्रतिदिन विश्व में हजारों लोग धूमवान व तम्बाखू खाने से मरते हैं, केन्सर व हृदयरोग से लेकर अस्थमा जैसी गंभीर बीमारियों के शिकार होते हैं। छोटे बच्चे, किशोर, युवतियाँ भी बड़ों को धूमपान करते देखकर इसकी लत लगा बैठते हैं और हजारों रोग फैलते हैं।
परोक्ष धूमपान अधिक खतरनाक
कई मामलों में देखा गया है कि धूम्रपान करने वाले को तो कोई बड़ी बीमारी नहीं होती, लेकिन उसकी धर्मपत्नी को कैंसर हो जाता है। क्योंकि परोक्ष धूम्रपान ज्यादा खतरनाक होता है। क्योंकि जो व्यक्ति बीड़ी-सिगरेट पीता है, वह निकोटीन के साथ ऑक्सीजन खींचकर साँस भरता है, लेकिन जो साँस छोड़ता है- वह कार्बन-डाई-ऑक्साइड मिलाकर, जो 3 गुना ज्यादा जहरीली होती है। उस विसर्जित धूम मिली हवा में जिसे साँस लेना पड़ता है, उससे कई तरह की भयंकर बीमारियाँ हो जाती है।
कई मामलों में देखा गया है कि कुछ लोग टॉयलेट में छुपकर बीड़ी सिगरेट पीकर खिसक जाते हैं, उसके बाद उस धुँआ भरे टॉयलेट में जो कोई भले नर-नारी घुसते हैं उनमें से कुछेक तो चक्कर खाकर बेहोश हो जाते हैं, कुछेक को उलटी भी होने लगती है।
कुछ लोग गाड़ी चलाते-चलाते, सड़क पर चलते-फिरते, गलियारों में घूमते, ऑफिस के दरवाजे के बाहर निकल कर, सिगरेट फूँक जहरीला धूम उगल भाग जाते हैं। हजारों लोगों के लिए बीमारियाँ पैदा करके। कई लोग बीड़ी-सिगरेट पीकर जलते हुए सिरे को बिना बुझाए फेंक कर भाग जाते हैं। जिससे कहीं आग लग जाती है। कहीं जंगल के जंगल जल जाते हैं। प्लास्टिक व फिल्टर के जलने से वायु-प्रदूषण होता है।
मानव व जीवजंतु भोजन के बिना कुछ दिन जिन्दा रह सकते हैं, पानी के बिना कुछ घंटे तक। किन्तु साँस लिए बिना तो दो-चार मिनट भी नहीं जी सकते। अतः वायु-प्रदूषण फैलाना सबसे बड़ा पाप है।
प्रश्न उठता है कि सरकारें तम्बाकू का उत्पादन बंद क्यों नहीं करवा देती? बीड़ी-सिगरेट की फैक्टरियों को जला क्यों नहीं देती??, भारी उत्पाद-शुल्क और टैक्स वसूली के लोभ में यह जहर क्यों फैलने देती हैं???
सरकार ने सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान वर्जित किया है जो, पर्याप्त नहीं है। जिन लोगों को बीड़ी सिगरेट पीने की लत/आदत लग गई है, वे चाहने पर भी नहीं छोड़ पाते। अतः वे बेचारे कहाँ धूमपान करें? इसके लिए सुरक्षित स्थल भी जरूरी है। सरकार यदि तम्बाखू-उत्पादों से भारी टैक्स की आमदनी कर रही है, तो उसका नैतिक कर्तव्य भी बनता है कि धूमपान करनेवालों के लिए सुरक्षित स्थान भी उपलब्ध कराए।
अतः जैसे हवाई अड्डों पर "स्मोक-बार" होते हैं, विकसित राष्ट्रों में स्मोकिंग-जोन होते हैं। जैसे स्वच्छ भारत अभियान में सब जगह, गाँव-गाँव में भी शौचालय बनाए जा रहे हैं, वैसे ही कार्यालयों, बाजारों में “स्मोक-बार” बनाने जरूरी हैं, जिनसे धुँवा बाहर निकलने के लिए काफी ऊँची चिमनी हो, ताकि न केवल धूमपान करने वाले शांति व सम्मान से बैठकर पी सकें, बल्कि दूसरे लोग इस जहरीले धुँए से बच सकें।
कठोर नियम लागू किए जाएँ कि केवल "स्मोक बार" में ही धूमपान किया जा सकता है। बीड़ी-सिगरेट केवल स्मोर-बार में बेची जा सकती है। तभी इस बुरी लत के घातक फल से सामान्य लोगों को सुरक्षा मिल सकती है।