16 Feb 2007

तब, सब भगवान नहीं बन जाते??

चाँद बहुत सुन्दर है।
पर उस पर दाग है॥
गर दाग मिटाना तुम्हारे वश में नहीं।
दाग देख चाँद पर थूको नहीं॥

तुम्हारा थूक तुम्हीं पर पड़ेगा।
और तुम्हें पागल कहा जाएगा॥


घोड़ा, बैल, भैंसा, ऊँट हैं,
बड़े पुष्ट और बलवान।
पर, गाड़ी में जोते जाते,
कोमल नाक में नकेल डाल॥

सागर है अनन्त विशाल,
पर, उसका जल है खारा।
दीपक चारों ओर प्रकाश फैलाता,
पर उसके आधार तले, बसे अन्धेरा॥

हीरा है बहुत मूल्यवान,
पर वह होता है जहरीला।
उसे जब कोई चाट लेता,
खत्म हो जाती उसकी इहलीला॥

मोर के पंख बहुत सुन्दर,
पंख फैला कर वह झूम नाचता।
पर अपने बेडौल बदसूरत,
पैर देख वह रो पड़ता॥

कछुए की पीठ पर कठोर ढाल,
तलवार से मारो तो टूट जाती तलवार।
पर पेट है कितना नरम,
नन्हें काँटें में फँस होता शिकार॥

हाथी जानवरों में सबसे विशाल,
विशाल सूँड से छोड़ता फुहार।
पर नन्हीं-सी चींटी उसमें घुसने पर,
हो जाता उसका अकाल संहार॥

राम, कृष्ण, गाँधी, नेहरू, लाल, बाल, पाल।
अनेक महापुरुष कर गए अनेक कार्य महान॥
पर, उनसे भी कोई न कोई भूल हुई थी।
उनकी भी कोई न कोई कमजोरी तो थी॥

हर इन्सान में होते हैं अनेक विशेष गुण।
तो हरेक में है कमी, कोई न कोई अवगुण॥
यदि किसी से कभी कोई गलती न होती?
यदि किसी की कोई कमजोर नस न होती??

अहंकार से चूर रावण कहलाते।
या जब वे स्वयं को सम्पूर्ण पाते॥
तो फिर वे काबू में कैसे आते?
तब, सब भगवान नहीं बन जाते??

किसी में कोई कमजोरी देखकर।
दूसरों की किसी गलती को पकड़॥
उन पर हँसकर छीँटे कभी कसो नहीं।
यदि उसे सुधारना तुम्हारे वश में नहीं॥

हंस बनो, पर कौवा नहीं।
मोती चुगो, गन्दगी नहीं॥
दाग दूर करना तुम्हारे वश में नहीं।
दाग देख, कभी चाँद पर थूको नहीं॥