विण्डोज-98 में युनिकोड सक्षमता लाना
Unicode Enabling in Win98
श्रीश जी ने अपने चिट्ठे ईपण्डित पर तथा इस कड़ी पर विण्डोज-98 में युनिकोड हिन्दी की कार्यक्षमता के सम्बन्ध में कुछ ज्वलन्त मुद्दे उठाए हैं, जिनके कारण-दर्शाते हुए निवारण हेतु कुछ उपाय यहाँ दर्शाए जा रहे हैं।
पुराने कम्प्यूटरों में, जिनमें विण्डोज 95/98/ME आपरेटिंग सीस्टम् होता है, उनमें अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकृत वर्ण-कूट (character-code) युनिकोड ( UNICODE ) का समर्थन नहीं होता। ये सिर्फ ASCII (American Standard Code for Information Interchange) कोड तथा इस पर आधारित विभिन्न कोड-पेज की लिपियों में ही काम किया जा सकता है। विशेषकर हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में पाठ-संसाधन (Text processing) के लिए 8-बिट वाले हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के ट्रू-टाइप (TTF) फोंट से ही काम चलाना पड़ता है। जिनमें कई कमियाँ होती है--
1. पाठ को वर्णक्रमानुसार सजाने (alphabetical sorting) नहीं की जा सकती, क्योंकि सीमित स्थान के कारण इनमें केवल वर्णों/अक्षरों के टुकड़ों (glyphs) को शामिल करके येन-केन प्रकारेण हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में पाठ संसाधन, प्रदर्शन व मुद्रण करना पड़ता है।
2. इण्टरनेट, वेबसाइट, या पर पाठ प्रत्यक्ष रूप से डालने पर लक्ष्यित पाठके कम्प्यूटर में भी वही फोंट संस्थापित (installed) होना आवश्यक होता है। इस संस्थापना के चक्कर से बचने के लिए विकल्प प्रक्रिया का आविष्कार हुआ था, जिसमें TTF फोंट के dynamic प्रारूप (.eot) को वेब-सर्वर में स्थापित करना पड़ता है ताकि उक्त वेबसाइट को खोलने के साथ वे फोंट भी स्वतः डाउनलोड/संस्थापित होकर फोंट विशेष में पाठ को प्रदर्शित करें।
3. हिन्दी तथा भारतीय भाषाओं में सीधे ईमेल नहीं की जा सकती, सिर्फ अटैचमेंट रूप में भेजी जा सकती है। और वह फोंट भी साथ में अटैच करके भेजना पड़ता है। प्राप्तकर्ता के अपने कम्प्यूटर में उक्त फोंट को संस्थापित करने के बाद ही वह ई-मेल के भाषाई पाठ को पढ़ पाता है। सीधे ई-मेल की भी जाए तो वह ASCII के ही सुपर-सेट या पर लगे पैबन्द के रूप में ही होती है।
4. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की अनुकूलता (International Compatibility) नहीं मिल पाती।
5. हर भाषा के लिए अलग-अलग फोंट का उपयोग करना पड़ता है। यदि चुने गए पाठ के लिए कोई अन्य फोंट (या अंग्रेजी या अन्य भाषा का फोंट) चयन पर माउस क्लिक हो जाए तो पूरा पाठ कूड़ा (Garbage) बनकर प्रकट हो जाता है।
प्रश्न : इसका क्या कारण है? युनिकोड समर्थन पुराने कम्प्यूटरों में क्यों नहीं हो सकता?
इसका कारण है कि पुराने कम्प्यूटरों की क्षमता(Capacity), गति(speed) और स्मृति (memory) काफी कम होती थी। Windows 95/98/ME आपरेटिंग सीस्टम् 8बिट वर्ण-कूट-समूह (character code sets) पर आधारित थे। जबकि युनिकोड 16बिट कूट है। युनिकोड से संसाधन के लिए कम्यूटर में अधिक क्षमता, गति, शक्ति और स्मृति की जरूरत होती है।
प्रश्न : 8-बिट और 16-बिट में कितना अन्तर है?
उत्तर : एक सामान्य व्यक्ति तो यही कहेगा कि 8-बिट और 16-बिट में सिर्फ दो-गुना का अन्तर होगा। 8 गुणा 2 अर्थात् 16 हुए। किन्तु, यह सच्चाई जानकर आम लोग आश्चर्य में पड़ जाएँगे कि 16-बिट क्षमता 8-बिट क्षमता से पूरी 256 गुणा अधिक होती है। इसको समझाने के लिए बिट-प्रक्रिया को समझना होगा। बिट कम्प्यूटर की संसाधन क्षमता की ईकाई है जो द्विघात-समीकरण पर आधारित प्रमेय प्रणाली अनुसार क्रियाशील होती है। कम्प्यूटर की आन्तरिक प्रणाली सिर्फ दो ही संकेत (या अंक) समझती है, 0 या 1, अर्थात् हाँ या नहीं, अर्थात् ऑन या ऑफ। दूसरे शब्दों में इसे द्वैतवाद (Binary) भी कह सकते हैं। सर्किट में इलेक्टॉनिक विद्युत प्रवाह के ऑन होने को 1 और ऑफ होने को 0 मानकर ही समस्त प्रचालन क्रिया सम्पन्न होती है। अतः बिट का हिसाब इस प्रकार होगा।
0 बिट = 2 घात 0 = 2**0 = 1
1 बिट = 2 घात 1 = 2**1 = 2 अर्थात् 0 या 1 में से कोई एक
2 बिट = 2 घात 2 = 2**2 = 4
3 बिट = 2 घात 3 = 2**3 = 8
4 बिट = 2 घात 4 = 2**4 = 16
5 बिट = 2 घात 5 = 2**5 = 32
6 बिट = 2 घात 6 = 2**6 = 64
7 बिट = 2 घात 7 = 2**7 = 128
8 बिट = 2 घात 8 = 2**8 = 256 (दो सौ छप्पन)
अर्थात् 2*2*2*2*2*2*2*2 अर्थात् 2 को 2 से 8 बार गुणा करने पर उपलब्ध होगा।
8-बिट(Bit) = 1-बाईट(Byte)
9 बिट = 2 घात 9 = 2**9 = 512
10 बिट = 2 घात 10 = 2**1 = 1024
11 बिट = 2 घात 11 = 2**11 = 2048
12 बिट = 2 घात 12 = 2**12 = 4096
13 बिट = 2 घात 13 = 2**13 = 8192
14 बिट = 2 घात 14 = 2**14 = 16384
15 बिट = 2 घात 15 = 2**15 = 32768
16 बिट = 2 घात 16 = 2**16 = 65536 अर्थात् 256*256 (दौ सौ छप्पन गुणा दो सौ छप्पन)
अर्थात् 2 को 2 से 16 बार गुणा करने से उपलब्ध होगा।
16-बिट(Bit) = 2-बाईट(Bytes)
8-बिट कोड तथा फोंट 1-बाईट के होते हैं, जबकि युनिकोड कूट तथा ओपेन टाइप फोंट 2-बाईट वाले होते हैं। पुराने कम्प्यूटर 2 बाईट वाले कोड को दो अलग अलग कोड समझ लेते हैं और सारा पाठ तथा प्रोग्राम गड़बड़ हो जाता है। कम्प्यूटर का सारी प्रणाली ही ठप्प हो सकती है।
अतः 16-बिट कूट 8-बिट कूटों से 256 गुणा अधिक क्षमता के होते हैं। 8-बिट फोंट-कोड में अधिकतम कूट-स्थान 256 होते हैं तो 16-बिट कूट में अधिकतम कूट-स्थान 65536 होते हैं।
प्रश्न : युनिकोड विभिन्न भाषाओं के अक्षरों की अनुपमता को बनाए रखने में कैसे समर्थ है? विण्डोज-98 में युनिकोड की सम्भालने की क्षमता क्यों नहीं है?
उत्तर :
8-बिट ट्रू-टाइप फोंट में कम्प्यूटर के 32 संचालन आदेशों (Control Command Codes) को मिलाकर कुल 256 कोड-स्थान के अन्दर ही किसी एक भाषा के सारे अक्षरों को सीमित करना पड़ता था। जबकि युनिकोड में कुल 65536 स्थान उपलब्ध होने के कारण एक ही फोंट में संसार की सभी भाषाओं की लिखित लिपियों के मूल अक्षर शामिल होने के बावजूद भी कुछ स्थान अभी तक खाली है।
इसलिए एक ही फोंट में संसार की समस्त लिपियों के अक्षर शामिल हो पाने के कारण किसी अन्य भाषा या लिपि में कम्प्यूटर पर कार्य करने के लिए फोंट बदलने की आवश्यकता नहीं होती। हर लिपि के अक्षर विशेष का एक अनुपम (Unique) कोड नम्बर निर्धारित होता है, जो किसी अन्य भाषा/लिपि के अक्षर का नहीं हो सकता।
अन्तर्राष्ट्रीय फोंट Arial Unicode MS
उदाहरण के लिए देखें माईक्रोसॉफ्ट के ऑफिस एक्सपी पैकेज के बहुभाषी/अन्तर्राष्ट्रीय फोंट के विकल्प के साथ संस्थापित होनेवाला Arial Unicode MS फोंट। जिसकी फाइल का आकार (size) लगभग 23 मेगावाइट (MB) की है। इसके कुछ स्क्रीनशॉट यहाँ दिए जा रहे हैं:
अंग्रेजी अक्षर
अरबी एवं हिन्दी अक्षर
कन्नड़, तमिल एवं मलयालम अक्षर
चीनी, जापानी एवं कोरियाई (CJK= Chinese, Japanese, and Korean) अक्षर
यहाँ उल्लेखनीय है कि चीनी, जापानी और कोरियाई तीन राष्ट्रों की तीन भाषाओं को मिलाकर एकीकृत करके एक कोड की स्थापना की गई है। यूनिकोड मानकों में कूट-निर्धारित (encoded) CJK मूल अक्षरों कुल संख्या 29,245 है तथा बाद में शामिल 71,578 युनिफाइड आईडियोग्राफ्स 3 अतिरिक्त ब्लॉक में शामिल किए गए हैं। जबकि देवनागरी के सिर्फ 109 वर्णकूट ही शामिल किए गए हैं।
उपरोक्त Arial Unicode MS Font का लगभग 80% स्थान अकेले CJK के अक्षर घेर लेते हैं।
यदि इस फोंट को विण्डोज 98 आपरेटिंग सीस्टम वाले कम्प्यूटर में स्थापित कर दिया जाए तो चूँकि इस कम्प्यूटर में सामान्यता 64 मेगाबाट मेमोरी (MB RAM) ही होती है, तो उसमें से लगभग 40 प्रतिशत मेमोरी यही अकेला फोंट हजम करेगा। अन्य अनुप्रयोगों के लिए कम्प्यूटर में आवश्यक मेमोरी नहीं रहेगी और कम्प्यूटर हैंग हो जाएगा।
इसके विपरीत 8-बिट फोंट में भाषा/लिपि विशेष में कार्य करने के लिए कोड-पेज निर्धारित किए गए थे, जिनके आधार पर ही कार्य होता था। कोड-पेज बदलने पर पूर्व-टंकित पाठ दूसरी भाषा के कूटों में बदल कर कूड़ा-करकट जैसा (garbage) बन जाता था। उदाहरण के लिए देखें विण्डोज 98 का Arial.ttf फोंट जिसका आकार (size) लगभग 50 किलोबाइट (KB) का है।
अर्थात् विण्डोज एक्सपी का Arial Unicode MS फोंट विण्डोज 98 के Arial.ttf फोंट से आकार में लगभग 480 गुणा बड़ा है।
अतः युनिकोड अनुप्रयोगों को यदि Windows 95/98/ME में किसी प्रकार चलाने का प्रयास किया जाए तो यह उसी प्रकार भारी पड़ेगा, जैसा कि यदि एक रेलवे वैगन की क्षमता 51.2 मेट्रिक टन भार की होती है, तो उसमें लाद कर लाए गए गेहूँ को केवल 2 क्विंटल क्षमता वाले साईकल रिक्शा पर ढोकर ले जाना पड़े। अर्थात् रिक्शा 200 किलोग्राम प्रति खेप में अर्थात 2 बोरी गेहूँ ढोएगा और 51.2 मे.टन अर्थात् 5120 क्विंटल गेहूँ को ढोने के लिए 256 खेपों में अर्थात् दो दो क्विंटल करते हुए 256 बार ढोना पड़ेगा।
प्रश्न : विण्डोज-98 में युनिकोड में हिन्दी (तथा अन्य भारतीय भाषाओं) में में येन-केन-प्रकारेण ही सही, किन्तु कैसे काम किया जाए?
उत्तर :
(1) हिन्दी तथा आवश्यक भाषा का सही उपयुक्त ओपेन टाइप ttf फोंट संस्थापित करें।
सामान्यतया कोई भी व्यक्ति एक साथ संसार की सभी भाषाओं में काम नहीं करता है, इसलिए वह अन्तर्राष्ट्रीय फोंट Arial Unicode MS को संस्थापित करने के वजाए केवल उन्हीं भाषाओं, जिनमें उसे अधिकतर काम करना पड़ता है, के ओपेन टाइप फोंट इन्स्टाल करना सुचारु संचालन के लिए उपयुक्त होता है । अतः कम्प्यूटर में कम से कम फोंट इन्स्टॉल करके मेमोरी कैच का सही प्रबन्धन किया जा सकता है। Raghu8.ttf हिन्दी का एक ओपेन टाइप फोंट है और यह विण्डोज-98 के अनुकूल भी बनाया गया है। यह फोंट सै-डैक, मुम्बई (पूर्व एन.सी.एस.टी.) द्वारा विकिसित किया गया था तथा GPL लाईसैन्स के अन्तर्गत निःशुल्क तथा मुक्त रूप से उपलब्ध कराया गया। इस फोंट के सहारे विण्डोज-98 में युनिकोड में हिन्दी में काम चलाया जा सकता है। इसी का नया वर्सन विण्डोज 2000/XP/2003 के लिए Raghindi.ttf नाम से जारी हुआ। जो बीबीसी हिन्दी के वेबसाइट पर डाउनलोड हेतु उपलब्ध है।
अब भारत सरकार के डैटा सेण्टर वेबसाइट पर भी विण्डोज-98 के लिए भी अनेक हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के फोंट निःशुल्क डाउनलोड हेतु उपलब्ध कराए गए हैं।
(2) उपयुक्त वर्ड प्रोसेसर स्थापित करें
विण्डोज-98 में हिन्दी में काम करने के लिए सबसे पहला सॉफ्टवेयर वर्डप्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर विकसित हुआ था अक्षरमाला जो ज्यादा महंगा नहीं है। किन्तु इसके लिए पहले विण्डोज-98 के कम्प्यूटर में इण्टरनेट एक्सप्लोरर-6.0 (IE6.x) ब्राऊजर को इन्स्टॉल करना जरूरी होता है। इसमें हिन्दी में अनेक सुविधाएँ, शब्दकोश आदि उपलब्ध हैं।
(3) Internet Explorer-6 स्थापित करें
विण्डोज-98 के साथ डिफॉल्ट रूप में IE5 इन्स्टॉल होता है। IE5 से IE6 अपडेट करने के लिए कम्प्यूटर में सर्वनिम्न 128 मेगाबाइट की मेमोरी होना आवश्यक होता है। अर्थात् कम से कम 64 MB मेमोरी की एक चिप ा या 128 MB वाली एक अतिरिक्त चिप खरीद कर संस्थापित करना। इसमें अतिरिक्त लागत आती है। जिसे वहन कर पाना सबके लिए सम्भव नहीं है।
IE6 में विण्डोज-2000 आपरेटिंग सीस्टम के युनिकोड को सक्षम करनेवाले प्रोग्राम-कूट (unicows.dll आदि) अन्तःनिर्मित रूप से (inbuilt) शामिल हैं, जिससे युनिकोड समर्थित संसार की विभिन्न भाषाओं/लिपियों में प्रकाशित वेबसाइट की सामग्री को पढ़ने की सुविधा इण्टरनेट उपयोगकर्ताओं को मिल गई। हिन्दी तथा अन्य भारतीय लिपियों में युनिकोड में प्रकाशित वेबपृष्ठ भी विण्डोज-98+IE6 में पढ़े तो जा सकते हैं, किन्तु स्वरूपण-क्रम या प्रदर्शन (rendering) गलत होता था। "किस्त" की जगह "कस्ति" और "कार्य" की जगह "कार्य" प्रकट होता था।
क्योंकि भारतीय भाषाओं में अक्षरों का क्रम-निर्धारण काफी कुछ अवैज्ञानिक/तर्कहीन तथा जटिल है। युनिकोड अक्षर-कूटों में पाठ संसाधन तथा भण्डारण होता है, जबकि पारम्पिक रूप में स्क्रीन पर प्रदर्शन तथा मुद्रण करने के लिए ओपेन टाइप फोंट में अन्तःनिर्मित अक्षरों के टुकड़ों या संयुक्ताक्षरों (glyphs) का ही प्रयोग करना करना पड़ता है। इनके मध्य विण्डोज-2000/XP/2003/Vista आदि आपरेटिंग सीस्टमों में अन्तःनिर्मित युनिकोड लिपि संसाधक (Unicode Script Processor, Uniscribe) को निरन्तर उड़ते-उड़ते कलाबाजी करनी (on-the-fly twisting) पड़ती है।
(4) युडिट सॉफ्यवेयर स्थापित करनासबसे अनुकूल
पुराने कम्प्यूटरों विण्डोज-95/98/ME में युनिकोड में संसार की सभी भाषाओं में काम करने की क्षमता देने वाला सबसे अच्छा तथा निःशुल्क उपलब्ध सॉफ्टवेयर युडिट है। इसके लिनक्स तथा विण्डोज दोनों वर्सन उपलब्ध है। यह एक स्वतन्त्र प्रोग्राम होने के कारण विण्डोज की किसी सीस्टम फाइल का सहारा नहीं लेता। तथा DOS मोड में भी चल सकता है। इसमें ISCII तथा कुछ 8-बिट ttf फोंट के पाठ को युनिकोड में बदलने की सुविधा (converter) भी शामिल है। साथ ही इसमें उपयोक्ता (user) के द्वारा अपनी सुविधानुसार कीबोर्ड-लेआउट (KeyMap) बनाने की सुविधा भी शामिल है। हालांकि इसका संस्थापन व अनुकूलन (configuration & customization) एक सामान्य उपयोक्ता के लिए थोड़ा कठिन लग सकता है। किन्तु कम्प्यूटर प्रोग्रामरों के लिए यह सबसे अच्छा पसंदीदा प्रोग्राम रहा है। क्योंकि यह ओपेन सोर्स है और उपयोक्ता अपनी-सुविधा तथा अपनी जरूरत के मुताबिक इसमें हर प्रकार का बदलाव भी कर सकता है।
(5) अन्य औजार
IBM द्वारा भी एक Indic IME का विकास करके अपने एक वेबसाइट पर जारी किया गया था। लेकिन उसके द्वारा केवल IE6 तथा बाद के ब्राउजरों के Edit Box में भारतीय भाषाओं में टंकण या पाठ-प्रविष्टि की जा सकती थी। और वह भी पारम्परिक रूप में हिन्दी आदि का प्रदर्शन करने में असमर्थ था। क्योंकि आपरेटिंग सीस्टम मे विण्डोज-98 में अन्तःनिर्मित युनिकोड संसाधक शामिल करना तकनीकी रूप से सम्भव न होने के कारण यह बेकार-सा रहा। अतः लोकप्रिय नहीं हो पाया और इसे रद्द कर दिया गया।
अन्य कई प्रकार के औजार भी आविष्कृत हुए थे तथा येन-केन-प्रकारेण प्रयोग करके युनिकोड समर्थित लिपियों में पाठ का संसाधन करने की सुविधा प्रदान करते थे।
(6) माईक्रोसॉफ्ट का औजार
माइक्रोसॉफ्ट द्वारा भी कुछ सॉफ्टवेयर प्रोग्रामरों को विण्डोज-98 में युनिकोड की सुविधा प्रदान करने के लिए MSLU (Microsoft Layer for Unicode on Windows 95/98/Me Systems) डाउनलोड हेतु उपलब्ध कराया गया है, जो यहाँ उपलब्ध है। किन्तु भारतीय भाषाओं के मामले में यह भी अधूरा रहा। पारम्परिक रूप में प्रदर्शन (Rendering) की समस्या बनी रहने के कारण यह पूरा समाधान नहीं दे पाया है।
वर्तमान सन्दर्भ में विण्डोज-98 की उपयोगिता
सन् 2004-2005 तक कई पुराने सॉफ्टवेयर ऐसे थे, जो 16 बिट प्रोग्राम थे, अतः विण्डोज-एक्सपी पर नहीं चल पाते थे (32बिट API होने के कारण)। अतः मजबूरन् लोग विण्डोज-98 का उपयोग करते थे। किन्तु आज लगभग सभी कम्प्यूटर प्रोग्रामों के नए 32-बिट वर्सन निकल गए हैं, अतः विण्डोज-98 को विण्डोज-एक्सपी या विस्टा में अपग्रेड करना ही सर्वश्रेष्ठ उपाय है।
पुराने कम्प्यूटरों का बही-मूल्य शून्य होना
विण्डोज-98 के अब बेकार सिद्ध हो जाने का एक कारण और भी है। 1998-2000 के बीच खरीदे गए कम्प्यूटरों का बही-मूल्य(Book-value) 2005-06 तक शून्य हो गया है। क्योंकि लेखा-सिद्धान्तों (Accounting Principle rules) के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक सामानों का मूल्यह्रास (Depreciation) प्रतिवर्ष 17 से 20 प्रतिशत की दर से होता है। अतः 2006-07 में अधिकांश सरकारी संस्थानों के भी विण्डोज-98 वाले पुराने कम्प्यूटरों को रद्द करके उनके स्थान पर एक्सपी या विस्टा आपरेटिंग सीस्टम् वाले नए कम्प्यूटर खरीद लिए गए हैं या धड़ाधड़ खरीदे जा रहे हैं।
सर्वश्रेष्ठ उपाय
किन्तु सामान्य कम्प्यूटर उपयोक्ता या विद्यार्थीगण जो निम्नतम खर्च पर हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं की कम्प्यूटिंग करना चाहते हैं, या ऐसे लोग जो कम्प्यूटरों को अपग्रेड करने हेतु कोई व्यय करने में समर्थ नहीं हैं, उनके लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि वे निम्नलिखित IME में से किसी एक का उपयोग करके पहले 8-बिट फोंट में पाठ प्रविष्टि या संसाधन करें--
ITrans
Baraha
8-Bit TTF font
WX
Roman Transliteration Scheme
फिर उसे Yudit के converter या अन्य उपलब्ध कोड-परिवर्तन करनेवाले औजारों (Tools & Utilities) का उपयोग करके Unicode कूटों में बदल लें और इण्टरनेट तथा ई-मेल आदि के लिए उपयोग करें।
मुद्रण तथा प्रकाशन उद्योग की मजबूरी
सर्वोपरि मुद्रण एवं प्रकाशन उद्योग या अखबारों को फिलहाल 8-बिट फोंट्स का ही सहारा लेना पड़ता है। क्योंकि Microsoft Publisher (2000/XP/2003/2007) के अलावा किसी डिजाइन तथा पेजलेआउट करनेवाले किसी प्रोग्राम (Adobe Pagemaker, Photoshop, InDesign, Illustrator, तथा Macromedia Freehand आदि) में हिन्दी (and Indic) युनिकोड का समर्थन उपलब्ध नहीं है। अतः समाचारों पत्रों को अपने मुद्रित अखबार को 8-बिट फोंट में मुद्रित करना पड़ता है तथा इसके इण्टरनेट वेब-संस्करण को युनिकोड में परिवर्तित करके वेबसाइट पर प्रकाशित करना पड़ता है। इसके कारण तथा निवारण हेतु कुछ उपाय अगले लेख में दिए जाएँगे।
3 Aug 2007
विण्डोज-98 में युनिकोड सक्षमता लाना
Posted by हरिराम at 18:16
Labels: Indic_computing, तकनीक, भारतीय-भाषा-संगणन
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13 comments:
वाह-वाह बहुत धन्यवाद! आपने मेरी सभी शंकाओं का समाधान कर दिया। ये प्रश्न मेरे दिमाग में बहुत समय से घूम रहे थे कि क्या विंडोज 98 के लिए अलग से Uniscribe Engine बनाकर तथा इंस्टाल कर उसे यूनिकोड सक्षम नहीं बनाया जा सकता।
तो दो बातें तय हो ही गई, एक तो यह कि विंडोज 98/ME के लिए सीधे टाइप करने वाला IME नहीं बन सकता। दूसरे कि हिन्दी का भला तभी होगा जब इस 98/ME का मुँह काला होगा।
बेहतरीन तकनीकी जानकारी दी है आपने, धन्यवाद क्या खूब उदाहरण देकर समझाया है, वाह वाह...
बहुत ही उपयोगी जानकारी ! मै अब तो विन्डोज ९८ नही प्रयोग करता लेकिन मुझे ध्यान है bbc hindi fonts को इन्सटाल करने के बाद हिन्दी साफ़ देखने की कवायद काफ़ी हद तक सही हो गयी थी , हाँलाकि हिन्दी के अक्षर तब भी इतने साफ़ नही दिखाई पडते थे ।
मेरे विंडोज 98 वाले लेख का लिंक यह है।
आपके लेख मेरी इंडिक कंप्यूटिंग संबंधी तकनीकी जिज्ञासा को शांत करने में बहुस सहायक होते हैं। आपके एतद संबंधी सारे लेख मैं बार-बार पढ़ता हूँ।
आज के लेख के संबंध में कुछ प्रश्न हैं:
मैंने बहुत सोच कर यह निष्कर्ष निकाला है कि Windows 98 पर अन्य हिन्दी संबंधी कार्यों के लिए तो प्रोग्राम उपलब्ध हैं बस वैब पर ऑनलाइन काम करने हेतु कॉपी-पेस्ट का झंझट मुख्य समस्या है।
अब इसका एक समाधान है कि ब्राउजर आधारित IME टूल विकसित किए जाएँ। फायरफॉक्स के लिए इस तरह के प्लगइन उपलब्ध हैं जैसे Indic Input Extension लेकिन समस्या ये है कि Windows 98/ME पर हिन्दी सही नहीं दिखती।
अब फायरफॉक्स 3 में हिन्दी सही दिखती है तो लोचा ये कि वो इन पुराने OS का समर्थन नहीं करता।
मैं टैस्ट कर रहा हूँ कि क्या फायरफॉक्स 3 Windows 98/ME पर चलता है, मेरे पीसी पर तो उसने कुछ एरर दिया, क्या किसी और ने चला कर देखा है।
फायरफॉक्स के एक Patched Version के बारे में सुना था जो कि हिन्दी सही से दिखाता था लेकिन अब वह कहीं डाउनलोड के लिए उपलब्ध नहीं।
1. क्या फायरफॉक्स 2 का एक Patched Version बनाया जा सकता है जो कि Windows 98/ME पर हिन्दी सही से दिखाए?
यदि ऎसा हो सके तो फिर उसमें Indic Input Extension इंस्टाल कर Windows 98/ME पर सुगमता पूर्वक इंटरनैट पर हिन्दी में कार्य किया जा सकता है।
2. क्या IE के लिए IBM के Indic IME जैसा ब्राउजर आधारित टूल विकसित किया जा सकता है जो कि हिन्दी हेतु सही से कार्य कर सके?
विंडोज 98/ME के बारे में मैं केवल यह चाहता हूँ कि कोई ऎसा उपाय हो कि बंदा वैब पर बिना कॉपी-पेस्ट के झंझट के हिन्दी लिख सके। इसके लिए एकमात्र उपाय मुझे ब्राउजर आधारित प्लगइन ही नजर आते हैं।
अच्छी जानकारी दी है. धन्यवाद.
श्रीश जी,
1. आपके लेख की कड़ी सुधार दी है।
2. हमने 6-7 वर्ष पूर्व Win98+IE6 में 128 MB RAM बढ़ाने के बाद सीधे युनिकोड में काफी काम किया था। किन्तु स्क्रीन पर हिन्दी पाठ युनिकोड के मूल कूट में ही प्रदर्शित होता था। किन्तु ईमेल जिसके पास पहुँचती थी, वहाँ सही रीति प्रकट होती थी।
3. फायर फॉक्स लगभग मुक्तस्रोत है, इसमें बहुत कुछ कार्य किया जा रहा है।
4. फिलहाल हिन्दी के विकास हेतु बहुत कुछ किया जाना है, अतः win98 में अर्थात् 9 वर्ष पीछे लौट कर समय नष्ट करने के वजाए आगामी 20 वर्षों के बाद भारतीय भाषाओं के लिए कैसी तकनीकी हम अपनी आनेवाली पीढ़ी को देंगे, इस ओर ध्यान दें तो ज्यादा महत्वपूर्ण कार्य होगा।
बेहतरीन लेख. हिंदी कम्प्यूटिंग संबंधी तकनीकी लेखों के "हॉल ऑफ़ फ़ेम" में रखे जाने लायक.
बहुत उपयोगी और जानकारीपूर्ण लेख। हरिराम जी, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद। श्रीश जी, आपका भी।
एक बहुत ही उपयोगी विषय पर बहुत अच्छी जानकारी !
विण्डोज़ 98 में युनिकोड क्षमता विकसित करने संबंधी जारी लेख अत्यंत महत्वपूर्ण सूचनाओं का संकलन है, जिसे पढने के उपरांत यूनिकोड से संबंधित अनेक समस्याओं का समाधान स्वतं ही हो जाता है, किसी प्रकार के कोई प्रश्न की गुजाईश ही नहीं बचती
लेकिन मैं एक बात जरूर कहना चाहता हूँ कि विण्डोज़ 98 में भी यूनिकोड सुविधा विकसित की जाना चाहिये ......
विण्डोज़ 98 में युनिकोड क्षमता विकसित करने संबंधी जारी लेख अत्यंत महत्वपूर्ण सूचनाओं का संकलन है, जिसे पढने के उपरांत यूनिकोड से संबंधित अनेक समस्याओं का समाधान स्वतं ही हो जाता है, किसी प्रकार के कोई प्रश्न की गुजाईश ही नहीं बचती।
लेकिन मैं एक बात जरूर कहना चाहता हूँ कि विण्डोज़ 98 में भी यूनिकोड सुविधा विकसित की जाना चाहिये ...... संभव नहीं हो तो 98 का प्रचलन ही बन्द कर देना चाहिये।
@ प्रकाश महाले (इन्दौर)
माईक्रोसॉफ्ट द्वारा Win-98 का Sales & support 2003 से ही बन्द किया जा चुका है।
क्या आप जानते हैं भारत सरकार का एक वेब साइट है सूचना प्रीद्यौगिकी विभागका (www..mit.gov.in)जहा पर अपना ढिंढोरा पीटते है कि "इस सइटसे आप यूनीकोड के लिए फांट्स डाउनलोड करसकते है"। लेकिन सही मे ये फांट्स पूरी तरह यूनीकोड नही है। C-DAC नामक एक सरकारी संस्था पूणे मे है। यह संस्था इन फांट्स को दिया है। वेब साइट में और भी संस्थाओं का फांट्स है लेकिन वो फांट्स इनस्टाल ही नही होते है।
हां, अगर आप लोगों को किताब इत्यादि कंपोज करना है एक ओपेन साफ्टवेयर है जिसका नाम XeTeX/XeLaTeX. इस प्रोग्राम मे बहुत फाइदे है जैसा की विषयसूची बनाना, cross referencing, इत्यादी इस प्रोग्राम खुद करलेती है। अधिक जानकारी के लिए देखिये www.tug.org.
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