2 May 2007

अगर बुद्ध जिन्दा होते... तो आत्महत्या कर लेते शायद...

अगर बुद्ध जिन्दा होते... तो आत्महत्या कर लेते शायद...

आज बुद्ध पूर्णिमा, बुद्ध जयन्ती है। देश भर में समारोह मनाए जा रहे हैं। भाषण-प्रवचन जारी हैं उनकी अहिंसा की शिक्षाओं पर।

किन्तु, व्यवहार में... विश्व में क्या हो रहा है?

आजतक विभिन्न राष्ट्रों द्वारा जितने बम, अणुबम बनाए जा चुके हैं, उतने में से समग्र पृथ्वी का कम से कम 70 बार सम्पूर्ण विनाश किया जा सकता है। दिनों दिन और भी नए नए परमाणु बम, रसायनिक बम, मिसाइलें, अन्तरिक्ष में उपग्रह-स्टेशन से धरती पर वार करनेवाले अग्निबाण इत्यादि का आविष्कार तथा परीक्षण जारी है।

आतंकवाद, माओवाद के अनुयायी हैं या यमदूत, जो यत्र-तत्र प्रकट हो सामूहिक प्राणों को मौत की पिटारी में बन्द कर ले जाते हैं। जाने-अनजाने में ही भ्रूण-हत्या से लेकर अपने ही परिवार के लोगों की हत्या तक के महापाप मानव काम-क्रोधादि से उन्मत्त होकर कर बैठते हैं। विभिन्न धर्म-मतावलम्बियों के बीच आपसी लड़ाई-झगड़ों में हजारों-लाखों जानें अकाल काल के गाल में चली जा रही हैं।

इतिहास में एक आश्चर्यजनक तथ्य यह भी है...

वर्मा और थाईलैण्ड दोनों की बौद्ध-धर्मावलम्बी देश हैं। गौतम बुद्ध की एक मूर्ति के स्वामित्व को लेकर दोनों देशों के बीच नौ बार लड़ाई हो चुकी है, जिनमें हजारों लोग मारे गए... ...

यदि आज गौतम बुद्ध जीवित होते... तो आत्महत्या नहीं कर लेते? अपने ही अनुयायियों के ऐसे कर्म देखकर.. अपनी एक मूर्ति के लिए हजारों/लाखों को लड़कर मरते देखकर... अपनी शिक्षाओं का यों दुरुपयोग होते देखकर...

9 comments:

अभय तिवारी said...

नए सिरे से सोचना पड़ता लोगों के प्रवचन देने के बारे में.. क्या सचमुच कोई लाभ है..?

ghughutibasuti said...

शायद नहीं, किन्तु शायद लोगों से शान्ति व सद्भाव की आशा करना बंद कर देते ।
घुघूती बासूती

Unknown said...

तो फिर से एक बार समाज को दिशा देने में सक्षम होते।

ePandit said...

काश वे जिंदा होते तो उनके प्रभाव से शायद फिर से शांति होती चहुँ ओर।

Pratik Pandey said...

सामयिक चिंतन... बुद्ध ने कहा था 'अपना दिया ख़ुद जलाओ'। लेकिन अगर लोग कुछ करना ही न चाहें तो बुद्ध बेचारे क्या करें?

पंकज said...

हरिनाम जी, सोचने की बात है कि अहिंसा के दीप जलाने वाले गाँधी जी गोलियों का शिकार हुए;
लेकिन क्या इससे उनका या कि अहिंसा की महत्ता कम होती है;
बिल्कुल नहीं।
इतने सारे परमाणु बमों के बीच भी मानवता कायम है, मैं समझता हूँ कि यह देखकर बुद्ध प्रसन्न ही होते।

Divine India said...

समाज बनता है विकसित होता है और फिर पतन की ओर उन्मुख होता है यह भी एक नियम है…।
जहाँ तक बुद्ध का सवाल है जिंहे बुद्धत्व मिल जाता है वो इन सबसे उपर उठ जाता है…और स्वयं को हारा हुआ मान कर शर्म करने से वेहतर है कि कुछ किया जाए और यही बुद्ध भी करते… प्रयास!!!

Priya Sudrania said...

mujhe lagta hain yadi budhha aaj jeevit hote to atmhatya nahin karte kyunki unhone hi to kaha hai ki existence ke liye sufferings zaroori hain,sufferings ignorance se aati hain aur ignorance moh maya ki upaz hain......moh maha ka ilaaz hain ......unhi ke bataye hue noble eight fold path....
mujhe lagta hain yadi veh jeevet hote to unki siksha samaj ko naya roop, naya dristikon dene mein sahayak hoti.

Anonymous said...

काश बुद्ध जिन्दा होते तो, एसा कभी भी नहीं करते. क्योकि बुद्ध तो बुद्ध है और बड़ी ही अद्भुत है उनकी शिक्षा. लोग गलत तरीके से लेते है. और आंदध भक्ति के शिकार हो जाते है. आज भी हमारे बीच में बुद्ध जैसे महापुरुष आते है लेकिन हम उनकी शिक्षा का लाभ नहीं ले पाते. हमें दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि, अक्टोबर. 2013 में बुद्ध के सामान आचार्य श्री सत्यनारायण गोयका जी का ९० बर्ष कि आयु में निधन हुआ है.
उनकी शिक्षा बुद्ध कि ही शिक्षा पर आधारत है. उनकी शिक्षा फ्री में सभी विप्पस्सना केन्द्रो पर दी जाती है
website www.dhamma.org
for Buddha's Teaching-Vipassana (10 day course free of cost) by Shri S.N. Goenka