24 May 2007

तपती गर्मी में बहुमंजिली इमारतों को शीतल रखने का सरल उपाय...


तपती गर्मी में बहुमंजिली इमारतों को शीतल रखने का सरल उपाय...

तपती गर्मी में मकानों को ठण्डा रखने के कुछ उपाय पिछले लेखों में बताए गए थे। कई लोगों ने प्रश्न किया था कि बहुमंजिली इमारतों में, जहाँ लोग फ्लैट्स में रहते हैं। उनके पास बागवानी के लिए पर्याप्त स्थान नहीं होता। सिर्फ बालकोनी में दो-चार गमले रखे जा सकते हैं। वहाँ बाहरी दीवारों को धूप से बचाकर ठण्डा रखने का कोई सरल उपाय नहीं है? पेड़ पौधों के द्वारा गगनचुम्बी इमारतों को ठण्डा कैसे रखा जाए?

इसका यह जबाब सुनकर आश्चर्य होगा कि बहुमंजिली इमारतों पर लताएँ लहराकर शीतल रखना तो और भी ज्यादा सरल और सस्ता है। कैसे?

बहुमंजिली इमारतों को धूप से बचाकर ठण्डा रखने का एक सरल उपाय है कि हर फ्लैट की बालकोनी में दो चार गमले रखें, जिनमें लताओं के पौधे उगाएँ। इन लताओं को ऊपर की ओर चढ़ाने के लिए रस्सी आदि का सहारा लगाने में बेकार परिश्रम और धन खर्च करने की भी कोई जरूरत नहीं है। इन्हें नीचे लटकने दें। ये लताएँ अपने आप नीचे की ओर लटक फैलेंगी और नीचे के फ्लैट्स की दीवारों पर आच्छादित होती चली जाएँगी।

सबसे ऊपर की मंजिल में रहनेवाले यदि कुछ बड़े आकार के गमले में लताओं के पौधे उगाएँ और उपयुक्त खाद पानी देते रहें तो ये लताएँ लटक कर निचली मंजिल तक स्वतः फैल सकती हैं।

बहुमंजिली इमारतों की छत पर मुँडेर के किनारे कुछ बड़े गमले रखे जाएँ। यदि 3 फीट व्यास वाले कंक्रीट की नाँद के गमले हों तो उत्तम है। इनमें लताएँ के पौधे उगा दिए जाएँ और इन्हें मुँडेर पार करके अपने आप नीचे की ओर लटक कर फैलने दिया जाए। इससे लताओँ के झुरमुटों को ऊपर चढ़ाने में कोई परिश्रम और खर्च भी नहीं करना पड़ेगा। लताओँ के पत्ते धूप को सोखकर अपना विकास करने में उपयोग करेंगे और तथा इनके फूल सुगन्ध भी फैलाएँगे और रंग-बिरंगी शोभा भी बढ़ाएँगे। लेकिन आवश्यकता है बहुमंजिली इमारतों के सभी फ्लैट्स में रहनेवालों को मिलकर प्रयास करने की।

ऊपर से नीचे लटकी हुई लताओं के तने पुराने होने पर मजबूत रस्सी जैसे हो जाते हैं। नीचे धरती में लताएँ उगाकर भी इनके सहारे बिना परिश्रम के ऊपर चढ़ाकर आच्छादित किया जा सकता है।

ऐसी लताओं में एक सबसे लोकप्रिय है मनी प्लाण्ट। जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है -- यह घर में धन तथा समृद्धि बढ़ानेवाली लता मानी जाती है। अनेक लोग इसे वास्तु अनुकूल मानते हैं। घर में सुख-शान्ति बढ़ानेवाला मानते हैं। तथा पानी की बोतलों में, गमलों में उगाते हैं। कुछ लोग तो ड्राईंग रुम में भी इसे उगाते हैं। इसके लिए कोई विशेष रख-रखाव की जरूरत नहीं पड़ती। सिर्फ पर्याप्त पानी मिले तो यह अपने आप फैलते जाती है।

मनी प्लांट की बेल का एक टुकड़ा तोड़कर एक सिरा सिर्फ पानी में डुबा कर कुछ दिन रखने से स्वतः जड़ें निकल आती है और पौधा विकसित होने लगता है। इसके कोई फूल, फल या बीज नहीं होते। किन्तु ठण्डक फैलाने में यह बहुत प्रभावी होता है।

अन्य लताओं में मालती, मल्ली (चमेली-लता), जास्माइन, श्वेत व नीली अपराजिता, भृंगराज, कन्नैर-लता, राधा-तमाल, बेगुनिया-बेनसर, जूही-जाई... इत्यादि प्रमुख हैं, जिनसे बहुमंजिली इमारतों को अच्छादित किया जा सकता है। ओड़िशा के कुछ स्थानों में "पोई" नामक एक विशेष लता को लोग शौक से उगाते हैं, जिसके पत्तों तथा डण्खल की स्वादिष्ट सब्जी बनती है। इसमें कई विटामिन, खाद्य लवण अधिक मात्रा में होते हैं। कोई कीड़ा काट लेने पर जलन या खुजली आदि होने पर इसके पत्ते को मसलकर रस लगा देने से कुछ ही मिनटों में अद्भुत राहत मिलती है।

इस तरह लताएँ नीचे लटका कर बहुमंजिली इमारतों को शीतल रखना सबसे सरल और पर्यावरण अनुकूल उपाय है।

8 comments:

Anonymous said...

अच्छी अलख जगाई है।

Anonymous said...

हरीराम जी; हम तो कल गिलोय को लगाने के लिये ले भी आये.
आपकी ये मालती, मल्ली (चमेली), जास्माइन, श्वेत व नीली अपराजिता, कृष्णचूड़ा को आज ढूंढने की कोशिश करते हैं.

आप अच्छी बात बता रहे हैं, पुन: धन्यवाद

हरिराम said...

धुरविरोधी जी, मेरी (अल्प) जानकारी के अनुसार गिलोय तो एक परजीवी बेल है, जो सिर्फ अन्य किसी पेड़ पर ही फैलती है, मिट्टी में इसकी जड़ें नहीं जातीं।

Anonymous said...

अरे!, हमें तो नर्सरी वाले ने गिलोय थमा दी और कहा कि ये बहुत फैल जायेगी.
खैर आज फिर नर्सरी जाते हैं.

mamta said...

बहुत अच्छी जानकारी दी है, इसके लिए धन्यवाद ।

रवि रतलामी said...

हमने भी अपने छत आंगन को गमलों से पाट रखे हैं और एक सच्चे, आम भारतीय की तरह, अपने घर के सामने की सड़क का अतिक्रमण कर वहाँ भी कुछ पेड़ पौधे उगा दिए हैं.

और, सचमुच मई जून की गरमी उतनी त्रास नहीं देती है, और फूलों की सुंदरता और उनकी महक से माहौल खुशनुमा अतिरिक्त रूप से हो जाता है :)

Raag said...

हरिराम जी आज पहली बार आपका चिट्टा देखा और लगभग सारे लेखपढ़ गया। बहुत बढ़िया लिखते हैं आप और आपके सुझाव आम आदमी द्वारा प्रयोग में भी बड़ी आसानी से लाए जा सकते हैं। अच्छे चिट्ठे के लिए साधुवाद।

Pramendra Pratap Singh said...

भई आप अच्‍छी तरकीब बता रहे है बधाई, निश्चित रूप से यह अलख हर भारतीय मे जलाने की जरूरत है।
अगर लौकी तरोई आदि लगा दिया जाये तो पड़ोसी भी खुश रहेगें। :)