तपती गर्मी में भी मकान को कैसे रखें ठण्डा...
धरती की गर्मी बढ़ती जा रही है। ग्लोबल वार्मिंग की कहर से सारा संसार त्रस्त है। विशेषकर शहरों में तो कंक्रीट की छतों वाले पक्के मकान होते हैं, जिनमें रहनेवालों की हालत बहुत बुरी हो जाती है।
मकानों को गर्मियों में ठण्डा रखने के निम्नलिखित उपाय अपनाए जा रहे हैं।
(1) ए. सी. लगाना
धनी लोग मकान के कुछ कमरों में वातानुकूलन (Air Conditioner) लगा कर ठण्डक पा लेते हैं। अधिकांश कार्यालय भवन सेण्ट्रली एयर कण्डीशण्ड होने लगे हैं। बड़ी दुकानें, शो-रूम आदि एयर कण्डीशण्ड होना तो आज की संस्कृति बन गया है। कारें, बसें, रेलगाड़ियाँ में भी ए.सी. लगे होते हैं। अब एयर कण्डीशण्ड हेलमेट भी आ गया है बाजार में। मध्यम वर्ग के हर घर में एयर कूलर तो लगभग आम रूप से पाया जाता है।
बिना एयर कण्डीशनर लगाए अपने मकान को ठण्डा रखने के भी कई उपाय हैं।
(2) छत पर ग्लेज्ड सेरामिक टाइल बिछाना
कंक्रीट की छत को धूप की गर्मी सोखकर गर्म होने से बचाने के लिए एक अच्छा उपाय है कि छत के आँगन में सफेद ग्लेज्ड (चमकदार, चिकनी) सेरामिक टाइलें बिछा दी जाएँ, जिससे धूप परावर्तित हो (reflect) हो जाए, ताप छत से होकर मकान के अन्दर न फैलने पाए। बड़े बड़े कोर्पोरेट घरानों के कार्यालय भवनों पर ऐसा ही किया गया है। हालांकि यह काफी महंगा सौदा है।
(3) छत पर ग्लेज्ड सेरामिक टाइलों के टुकड़ों का आँगन
इससे कुछ सस्ता उपाय है 'सेरामिक टाइल्स' विक्रेताओं के पास से टूटी-फूटी ग्लेज्ड टाइलों के रद्दी टुकड़े इकट्ठे करके ले आएँ। कुछ विक्रेता टूटी-फूटी टाइलें कूड़े में फेंक देते हैं। कुछ विक्रेता ऐसे रद्दी टुकड़े 50 रुपये प्रति बोरी की दर से भी बेचने लगे हैं। इन टुकड़ों को छत पर सफेद सीमेण्ट के गारे पर यथासंभव पास-पास बिछाकर इनके बीच में सफेद सीमेण्ट का गारा भर कर समतल करके जमा दें। इस विधि से लगभग 80 से 90 प्रतिशत तक धूप परावर्तित हो जाएगी। गर्मी घर के अन्दर प्रवेश नहीं करेगी।
(4) छत पर सफेद चमकीले चूने का लेप करना
आजकल की रंग रोगन कम्पनियों द्वारा शीतल चूना (Sun cooling lime) उपलब्ध कराया जा रहा है जो हार्डवेयर दुकानों में मिलता है। यह महीन तथा चमकदार होता है जो सूर्य के प्रकाश को परावर्तित कर देता है। इस श्वेत रंगरोगन के लेप को मकानों की छत तथा बाहरी दीवारों पर लगाया जाता है, जिससे धूप की गर्मी दीवारों को भेदकर मकान के अन्दर फैल नहीं पाती और अन्दर से मकान अपेक्षाकृत ठण्डा रहता है।
किन्तु यह सफेद रंग कुछ दिनों के बाद मैला हो जाता है। विशेषकर छत पर धूल जमा होने तथा वर्षा से धुलने आदि कारणों से छूट जाता है। अतः यह एक अस्थायी उपाय है।
उपरोक्त सभी उपाय़ भले ही मकान के अन्दर ताप को फैलने से रोकते हैं, किन्तु बाहर के वातावरण की गर्मी बढ़ाते ही हैं। ए.सी. यन्त्र गर्म हवा को बाहर फेंकता है तथा इसके निकास से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक गैसें भी निकलती है।
अतः तलाश है ऐसे उपायों की जिससे मकान की ठण्डा रहे और वातावरण में भी गर्मी नहीं फैले। बल्कि वातावरण की गर्मी को भी सोखने में मदद करे।
(5) छत पर पुआल बिछाना
गर्मी के दिनों में कुछ लोग अपने मकान की कंक्रीट की छत या टिन या एजबेस्टस की छत पर पुआल बिछा देते हैं, जो गर्मी को सोख लेता है तथा न तो अन्दर फैलता है और न ही बाहर छितराता है।
(6) छत पर मोटे पत्तों वाले पौधों के गमले रखना
सबसे अच्छा उपाय है गर्मी के दिनों में अधिकाधिक संख्या में यथासंभव मोटे पत्तों वाले पौधों के गमले रखकर मकान की छत को अधिकाधिक भर दें। ये पौधे धूप को अधिकाधिक सोख लेंगे तथा न तो छत से होकर मकान के अन्दर गर्मी नहीं फैलेगी न ही बाहर वातावरण में फैलेगी।
(7) मकान की छत और दीवारों लता-गुल्म आच्छादित करना।
इससे भी सस्ता और सरल उपाय है कि कंक्रीट की छत पर कुछ बड़े गमले रखें, जिनमें मोटे पत्तों वाली लताओं के पौधे उगा दें। बाँस, टहनियों, रस्सी की जालियाँ बनाकर इनके ऊपर बेलों को चढ़कर फैलने दें। सुन्दर, सुगन्धित फूलों व पत्तों वाली बेलें आच्छादित होकर न केवल आपके मकान का सौन्दर्य बढ़ाएँगी, बल्कि मकान के साथ साथ वातावरण को ठण्डा रखने में भी भरपूर मदद करेंगी।
एक तल या दो तल्ले वाले मकानों में तो नीचे जमीन में सिर्फ एक फुट भर की जगह में भी बेल उगाई जा सकती हैं, तथा बाँस तथा रस्सी के सहारे इसे छत पर चढ़ाकर फैलाया जा सकता हैं। टिन, एजबेस्टस, खपरैल, टाइल आदि की छतों पर कुछ पुआल डालकर उसपर बेलें लहराई जा सकती हैं। लताएँ दीवारों पर लहराने से दीवारें भी गर्म होने से बचती हैं और फूलों वाली लताएँ हों तो सौन्दर्य भी बढ़ाती हैं।
कुछ लोगों ने तो अपने मकान की छत पर बाँस, टहनियों और रस्सियों की जालियों पर लौकी, तुरई, ककड़ी, सेम, बीन.. आदि सब्जियों की बेलें चढ़ाकर लहरा रखीं हैं, जो न केवल मकान तथा वातावरण को ठण्डा रखती हैं, बल्कि आवश्यक परिमाण में सब्जियाँ की फसल भी प्रदान कर रही हैं। कुछ लोगों ने मूल्यवान औषधीय हर्ब "पीपल" की लताएँ फैला रखीं हैं। ये न केवल बचत करती हैं, बल्कि कुछ लोग इन सब्जियों को बेचकर कुछ कमाई भी कर लेते हैं।
(8) छत पर पुदीना उगाना
जिन कंक्रीट की छतें अनुकूल ढलान के साथ निर्मित हैं, अर्थात् जिन पर पानी अटकता या जमा नहीं होता हो, वे लोग अपने मकान की छत पर सिर्फ रेत बिछा कर उसमें पुदीना उगा सकते हैं। पुदीना गर्मियों की फसल है, गर्मियों में तेजी से फैलता है। पुदीना न केवल मकान तथा वातावरण में ठण्डक फैलाएगा, बल्कि शर्बत, चटनी, औषधि आदि बनाने में भी काम आएगा। पुदीना का पौधा उगाने में कोई विशेष परिश्रम नहीं करना पड़ता। सिर्फ बालू या रेत में इसके पौधे के एक एक डण्खल एक एक इञ्च की दूरी पर रोप दें और रोजाना सुबह शाम पानी से सींचते रहें। इसकी बेलें निकल कर फैलने लगेंगीं। रेत में थोड़ी गोबर की खाद मिलाएँ तो तेजी से बेलें बढ़ेंगी। इससे छत को भी कोई नुकसान नहीं होगा क्यों कि रेत में पानी नहीं जमेगा। साथ ही पुदीने की सुगन्ध से वातावरण महक उठेगा।
जिस मकान की छत पर्याप्त ढालू नहीं हो, वहाँ चौड़े-चौड़े गमलों या मिट्टी की परातों में पुदीना उगाया जा सकता है।
(9) छत पर वास्तु अनूकल शुभ वनस्पतियाँ उगाना।
अनेक लोग अपने मकान की छत पर वास्तु अनुकूल पौधें और बेलें उगाते तथा फैलाते हैं, जिससे मानसिक शान्ति ही नहीं मिलती, बल्कि समृद्धि भी आती है।
रोजाना थोड़ा सा समय निकाल कर अपने घर की छत पर बागवानी में लगाएँ, तो न केवल हमारा शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहेगा, बल्कि आसपास का वातावरण भी शीतल और सुखद होगा।
इस प्रकार मकान को गर्मी से न बचाया जा सकता है, बल्कि यथासम्भव बचत और अर्थोपार्जन भी किया जा सकता है। प्रकृति के साथ जीने में ही मानव को सच्चा सुख और शान्ति मिल सकते हैं।
22 May 2007
तपती गर्मी में भी मकान को रखें ठण्डा...
Posted by हरिराम at 13:36
Labels: ऊर्जा, ग्लोबल वार्मिंग, पर्यावरण
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13 comments:
साधो हरीराम; आपने बहुत अच्छे अच्छे उपाय बताये हैं.
धन्यवाद
बहुत उपयोग उपाय बतायें हैं। सच है प्रकृति के साथ जीयें तो आन्नद ही आनन्द है। मैं भी अपनी छत पर अब बेलें चढ़ाउँगा सब्जियों की...
अच्छी जानकारी थी. गांव में फूस और खपडे के घर कंक्रीट के घरो से ज्यादा ठण्डे रहते हैं.
बहुत अच्छा लिखा है हरिराम जी. अपने व्यक्तिगत मकान में इस साल आने पर कुछ यही प्रयोग मैने प्रारम्भ किये हैं. फिर भी ग्लोबल वार्मिंग के चलते लगता है भविष्य के वर्षों में एयरकण्डीशनर के बिना चलेगा नहीं.
आपके लेख की हार्ड कॉपी ले रहा हूं रेफरेंस के लिये.
(फिर अनुरोध: वर्ड वेरीफिकेशन हटा दें - कृपया!)
हमने अपने छत पर पेड पौधे ही आच्छादित कर रखे हैं और सचमुच यह एक अनुभत प्रयोग है
हरी राम जी बहुत अच्छे उपाय बताए है आपने गर्मी से बचने के...एक समय था जब हम गाँव में पेड़ के नीचे बैठे होते थे तब भी गर्मी नही लगती थी आज एयरकण्डीशनर के बीना काम ही नही चलता। और ये भी सच है कि इससे हमारे शरीर को नुकसान ही हुआ है...चलिये इसबार आपकी बात मान कर कुछ उपाय हम भी करते है जिससे गर्मी से बचा जा सके ।सबसे अच्छा हमे छत पर बागबानी का काम लगा है..बहुत-बहुत शुक्रिया..इतनी महत्वपूर्ण जानकारी हेतु...
सुनीता चोटिया(शानू)
बढ़िया उपाय और मार्गदर्शन.!! साधुवाद.
यह तो बहुत ही अच्छे प्रयोग बताए हैं।
आपने बहुत अच्छे उपाय बताये है गरमी मे घर को ठण्डा रखने के। और प्रकृति और हरियाली के बीच रहना वाकई मे बहुत ही सुखद होगा।
भइया .. आप ने बहुत अच्छी बातें बताईं.. धन्यवाद..
छत पर भी पुदीना उगाया जा सकता है
क्या छत भी बावन बीघे की होनी चाहिए?
@संतोषजी
:)
आपका सुझाव कारगर है. आगे भी इस तरह के उपायों से अवगत कराते रहिए. फिर आऊंगा.
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