India has Hebrew, CJK, French… But not Hindi
हिन्दुस्तान में हिब्रू, जापानी, फ्रेंच… है, पर हिन्दी नहीं
हाल ही में मुझे वाराणसी तथा गोरखपुर के एक सप्ताह के दौरे पर जाना पडा, जो हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ ज्ञान-केन्द्र माने जाते हैं। वहाँ अपनी ईमेल देखने तथा ब्राउजिंग के लिए कई इण्टरनेट कैफे के चक्कर लगाने पड़े। देखा कि उन कैफे के कम्प्यूटरों में हिन्दी संस्थापित ही नहीं है, जबकि हिब्रू, फ्रेंच, जर्मन, चीनी, जापानी सहित अनेक विदेशी भाषाएँ इनस्टॉल की हुई हैं। हिन्दी में ई-मेल देखने तथा भेजने की सुविधा किसी भी इण्टरनेट कैफे के कम्प्यूटरों में नहीं मिल पाई।
जब मैंने कैफे के मालिकों से हिन्दी की सुविधा के बारे में कहा तो कुछ ने आश्चर्य व्यक्त किया-- "क्या हिन्दी में भी ई-मेल हो सकती है?"
दूसरे ने जबाब दिया—"वाराणसी तो प्रसिद्ध सांस्कृतिक तथा पर्यटन-केन्द्र है। हमारे कैफे में तो अधिकांश विदेशी लोग आते हैं इण्टरनेट ब्राऊसिंग करने। उनकी मांग पर उनकी भाषाओं की सुविधा इन्स्टॉल की गई है। कई वर्षों से हम कैफे चला रहे हैं। किसी ने हिन्दी की सुविधा की मांग की नहीं की। आप ही पहले व्यक्ति हैं, जो हिन्दी में ईमेल की बात कह रहे हैं।"
एक कैफे में जहाँ विण्डोज एक्सपी वाला कम्प्यूटर लगा था। उसके मालिक से मैंने कहा कि मैं आपके कम्प्यूटर में युनिकोड हिन्दी की सुविधा को सक्रिय कर दूँगा, तो उन्होंने स्पष्ट इन्कार कर दिया—“ना बाबा ना, हम ऐसा नहीं करने देंगे। हिन्दी तो कोई भी नहीं माँगता। हमारा कम्प्यूटर खराब हो जाएगा, वायरस घुस जाएँगे। मेमोरी कोर्युप्ट हो जाएगी।"
गोरखपुर में एक कैफे में हिन्दी के नाम पर "आगरा" तथा "अंकुर" नामक 8बिट फोंट मात्र ही मिला। गीताप्रेस, गोरखपुर जो विश्वप्रसिद्ध धार्मिक पुस्तक प्रकाशन संस्थान है। भक्ति-साहित्य को प्रकाशित कर सस्ते से सस्ते मूल्य पर उपलब्ध कराने की स्तुत्य सेवा अनेक वर्षों से करता आ रहा है। वहाँ भी युनिकोड हिन्दी(देवनागरी) के नाम से कोई परिचित तक नहीं मिला।
जब हिन्दीभाषी केन्द्रों के रूप में जाने-माने नगरों का यह हाल है, तो भारतवर्ष के शेष स्थानों का क्या हाल होगा? हिन्दीतर भाषी प्रदेशों में क्या हाल होगा?
हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में कम्प्यूटिंग की माँग ही नहीं होती। यदि लाखों में कोई एक माँग करता भी है तो कहीँ उपलब्ध नहीं होती। यदि कोई व्यक्ति उन कम्प्यूटरों में हिन्दी की सुविधा निःशुल्क सक्रिय करके देना चाहता है तो भी कोई ऐसा करने ही नहीँ देता।
तमिलनाडु के कई इण्टरनेट कैफे में तमिल-युनिकोड की सुविधा पाई जाती है। कर्णाटक, बैंगलोर के भी कुछेक इण्टरनेट कैफे के कम्प्यूटरों में कन्नड़-युनिकोड इन्सटॉल पाए जाते हैं। बंगाल (यथा-कोलकाता) के कुछे इक्के-दुक्के इण्टरनेट कैफे के कम्प्यूटरों में बँगला-युनिकोड सुविधा इन्सटॉल पाई जाती है। किन्तु ओड़िशा, पंजाब, गुजरात, आन्ध्र तथा अन्य प्रान्तों के अधिकांश इण्टरनेट कैफे के कम्प्यूटरों में वहाँ की प्रान्तीय भाषाओं तथा हिन्दी का नामोनिशान तक नहीं मिलता। आम जनता तो यही समझती है कि कम्प्यूटर केवल अंग्रेजी में ही चलते हैं।
क्या केन्द्र या राज्य सरकारों के स्तर पर ऐसा कोई हुक्म नहीं जारी किया जा सकता कि भारत में प्रयोग हेतु आपूर्ति किए गए सभी कम्प्यूटरों के आपरेटिंग सीस्टम्स में हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं की सुविधा डिफॉल्ट रूप में स्वतः संस्थापित मिले?
17 Oct 2007
हिन्दुस्तान में हिब्रू, जापानी, फ्रेंच… है, पर हिन्दी नहीं
Posted by
हरिराम
at
13:05
Labels: Indic_computing, भारतीय-भाषा-संगणन
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12 comments:
आपने अच्छा मुद्दा उठाया. दरअसल हमारे यहां कम्प्यूटर तकनीशियनों को अंदाज ही नहीं होता कि हिन्दी को इतनी आसानी से स्थापित किया जा सकता है. लेकिन एक-दो साल में स्थितियां बदल जाएंगी. बाकी वहां के दुकानदारों की मजबूरी भी अपनी जगह है ही.
अच्छा मुद्दा है. मुझे लगा कि xp or 2000 में बाई डिफॉल्ट यूनिकोड सपोर्ट होता है.
सिर्फ आठ महीने और पन्द्रह दिन का इन्तजार कीजिये.
जी हाँ यही सच है। मैं समय-समय पर इस मुद्दे को उठाता रहा हूँ। भारत की बहुसंख्य जनता आज भी यूनिकोड हिन्दी के बारे में कुछ नहीं जानती। उन्हें हिन्दी के बारे में यही पता है कि कुछ फॉण्टों की मदद से वर्ड या पेजमेकर में हिन्दी टाइप की जा सकती है बस। अगर उनसे आप हिन्दी टाइप के बारे में पूछो तो कहेंगे कि वो तो बहुत मुश्किल होती है, सीखनी पड़ती है। मैं जब किसी मित्र के कम्प्यूटर पर हिन्दी सक्षम करता हूँ तो उसके लिए कम्प्यूटर पर हिन्दी को टाइप होते देखना दुनिया के आठवें आश्चर्य जैसा होता है।
अधिकांश इण्टरनैट कैफे में या तो पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम होते हैं या नए हों तो उनमें इण्डिक सपोर्ट सक्षम नहीं होता।
इन्हीं बातों से त्रस्त आकर मैंने यह लेख लिखा था।
खैर विण्डोज २००० तथा एक्सपी पर इण्डिक सपोर्ट सक्षम करने का सबसे आसान तरीका है - हिमांशु सिंह का इण्डिक आईएमई इंस्टालर। जहाँ विण्डोज़ की सीडी उपलब्ध न हो वहाँ तो ये बहुत ही उपयोगी है।
इसलिए मेरा विचार है कि इण्टरनैट के अलावा भी सामान्य कम्प्यूटर प्रयोक्ताओं में जागरुकता फैलाए जाने की जरुरत है। इसके लिए समाचार-पत्र तथा पत्रिकाओं जैसे व्यापक प्रसार वाले माध्यम के उपयोग की जरुरत है।
"क्या केन्द्र या राज्य सरकारों के स्तर पर ऐसा कोई हुक्म नहीं जारी किया जा सकता कि भारत में प्रयोग हेतु आपूर्ति किए गए सभी कम्प्यूटरों के आपरेटिंग सीस्टम्स में हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं की सुविधा डिफॉल्ट रूप में स्वतः संस्थापित मिले?"
आपकी बात तो सही है लेकिन भारत में कितने लोग ब्रांडेड पीसी प्रयोग करते हैं? ज्यादातर लोग असैम्बल्ड पीसी प्रयोग करते हैं जिनमें ये आदेश लागू नहीं होगा।
वैसे यह तो होना ही चाहिए कि भारत में आपूर्ति किए जाने वाले सभी ब्रांडेड पीसी में इण्डिक सपोर्ट इनबिल्ट हो, इनस्क्रिप्ट कुञ्जीपट पहले से जोड़ा हो तथा उनके कीबोर्ड पर हिन्दी (इनस्क्रिप्ट) के वर्ण अङ्कित हों।
किसी ने कहा है कि किसी विचार का प्रसार चाहते हो तो उसका विद्यालयों में बीजारोपण करो।
जैसा आपने पहले सुझाय था कि अब 'भारतीय भाषा कम्प्यूटिंग' सभी स्कूल/कालेजों के पाठ्यक्रमों में कमोबेश अवश्य डाल देनी चाहिये।
सरकार यह नियम बनाये कि जो भी नये पी सी बेचे जाँय, वे सभी भारतीय भाषाओं में कम्प्यूटिंग के लिये सक्षम हों - अर्थात इनमें कुछ फाण्त और कुछ साफ़्टवेयर अवश्य लोड किये हुए हों।
मुक्त स्रोत साफ़्ट्वेयरों के प्रयोग को सरकार कानून के सहारे बढ़ावा दे।
इंजीनियरिं महाविद्यालयों के चात्रों को भारतीय भाषाओं के लिये उपयोगी साफ़्टवेयर या बनाने का प्रोजेक्ट दिया जाना चाहिये।
सभी सरकारी कार्यालयों के हिन्दी विभागों को हिन्दी में लोकोपयोगी सामग्री (विग़्यान, तकनीकी, स्वास्थ्य, कृषि, आत्म विकास, साहित्य आदि) के विकास के लिये प्रोत्साहित किया जाय। इसके लिये उन्हे ट्रेनिंग भी मुहैया करायी जाय।
बहुत अच्छा सुन्दर और साधारण शब्दों में आलेख लिखा है आपने ...अच्छा लगा पढ़कर...आपकी हिन्दी के प्रति समर्पण की भावना को नमन है...कुछ समय लगेगा अभी सब कुछ हिन्दी में आने में...
कृपया आप जब भी कुछ लिखे मेल अवश्य कर दें..आपके आलेख का इन्तजार रहता है...सब्सक्राईब करने की चेष्टा की थी मगर हो नही रहा है...
सुनीता(शानू)
"क्या केन्द्र या राज्य सरकारों के स्तर पर ऐसा कोई हुक्म नहीं जारी किया जा सकता कि भारत में प्रयोग हेतु आपूर्ति किए गए सभी कम्प्यूटरों के आपरेटिंग सीस्टम्स में हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं की सुविधा डिफॉल्ट रूप में स्वतः संस्थापित मिले?"
कोशिश करें तो यह करवाया जा सकता है। क्या इस विषय पर हम चिट्ठाकार समूह पर आगे चर्चा करें? हमलोग पहले सरकार को इस संबंध में अनुरोध करने के लिए पत्र का एक मसौदा करें और राजभाषा विभाग और सूचना प्रौद्यौगिकी विभाग के सक्षम प्राधिकारियों को इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रभावी दबाव बनाएं।
आपने बहुत बढि़या लिखा है। अच्छा मुद्दा उठाया,पढ़कर अच्छा लगा,बहुत खूब!
यही कड़वी सच्चाई है. भारत में बिकने वाले कंप्यूटर्स में हिंदी को सक्षम करके ही बेचा जाना चाहिए. यूनिकोड में भी वैसे सुंदर फोंट उपलब्ध होने चाहिए जैसे पोस्ट स्क्रिप्ट प्रिंटिंग के लिए हैं. इससे भी पहले मैं यह सोचता हूं कि हम इंग्लिश के QWERTY कीबोर्ड पर हिंदी टाइप करने की विवशता क्यों झेल रहे हैं? क्यों नहीं हिंदी के वर्णक्रम को प्रदर्शित करने वाले कीबोर्ड बनाए जा रहे?
बहुत बढ़िया ! बस इंतज़ार है जब कम्पयूटर पर हिन्दी मे टाइप करना सबके लिए आम बात हो जाएगी. शुभकामनाएँ
बहुत अच्छा लेख है। अजी आम जनता और कैफ़े वालों को छोड़िए, यहाँ कंप्यूटर डीलरों, यहाँ तक कि कंप्यूटर हार्डवेयर बनाने वाली कंपनियों के मार्किटिंग के लोगों तक को युनिकोड के बारे में पता नहीं होता। मुझे तीनों सुझाव पसंद आए, बेचे जाने वाले कंप्यूटरों हिन्दी (युनिकोड) सक्षम करके बेचने का आदेश, सरकार पर इसके लिए दबाव, व्यापय प्रसार वाले साधनों का उपयोग और स्कूलों कालेजों में इसके बारें में भरपूर प्रचार।
aap bahut accha kam ker rahe he.mene aap ka blog subscribe kiya hai kripya mughe hindi typing me bahut kast hota hai.pls send few advise.
chandrapal
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