tag:blogger.com,1999:blog-2481504562817573054.post3307407276805265854..comments2024-01-17T10:36:12.889+05:30Comments on प्रगत भारत: पूर्णविराम का प्रयोग करें, फुलस्टॉप का नहींहरिरामhttp://www.blogger.com/profile/12475263434352801173noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-2481504562817573054.post-2146216131142631472009-11-03T22:59:15.510+05:302009-11-03T22:59:15.510+05:30हरिराम जी
आपके ब्लाग की जितनी प्रसंशा की जाए, कम ह...हरिराम जी<br />आपके ब्लाग की जितनी प्रसंशा की जाए, कम होगी। फिर भी मेरी शुभकामनाओं को स्वीकारें। technical-hindi@googlegroups.com पर भी लगातार आपको पढ़ता रहा हूँ। <br />लगे रहें। जय भारत प्रगत भारत।<br />आपका<br />अभिषेक अवतंस<br />आगराअभिषेक अवतंसnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2481504562817573054.post-57296841043242996442008-07-13T19:08:00.000+05:302008-07-13T19:08:00.000+05:30@ संजय बेंगाणीअंग्रेजी में भी Dot (.) के बहुरूपी प...@ संजय बेंगाणी<BR/>अंग्रेजी में भी Dot (.) के बहुरूपी प्रयोग के कारण अनेक लाईलाज समस्याएँ होतीं हैं। आप अंग्रेजी से किसी भी अन्य भाषा में अनुवाद हेतु किसी सहायक सॉफ्टवेयर (Computer Aided Translation Tool) का उपयोग करके देखें, तो स्वयं अनुभव कर लेंगे।हरिरामhttps://www.blogger.com/profile/12475263434352801173noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2481504562817573054.post-77914505753824607362008-07-13T18:41:00.000+05:302008-07-13T18:41:00.000+05:30@ आनन्दसुयश जी ने मुझसे ईमेल पर अनुमति लेकर उक्त आ...@ आनन्द<BR/>सुयश जी ने मुझसे ईमेल पर अनुमति लेकर उक्त आलेख में मेरे कथन को उद्धृत किया था। आपकी सलाह अनुसार सन्दर्भ जोड़ दिया है। कृपया फिर से पढ़ें।हरिरामhttps://www.blogger.com/profile/12475263434352801173noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2481504562817573054.post-9033755540933766602008-07-13T09:31:00.000+05:302008-07-13T09:31:00.000+05:30हरीराम जी, अनेक नई जानकारियाँ मिलीं। धन्यवाद। ताज...हरीराम जी, अनेक नई जानकारियाँ मिलीं। धन्यवाद। ताज्जुब है कि आपकी अधिकांश चिंताएँ अक्षरश: अन्य साथी की <A HREF="http://www.proz.com/forum/hindi/109511-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%95_%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80_%3A_%E0%A4%B8%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B2_%E0%A4%94%E0%A4%B0_%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%9D%E0%A4%BE%E0%A4%B5.html" REL="nofollow">पूर्वप्रकाशित चिंताओं</A> से अक्षरश:आनंदhttps://www.blogger.com/profile/08860991601743144950noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2481504562817573054.post-29850904132623287702008-07-12T22:45:00.000+05:302008-07-12T22:45:00.000+05:30मैं आपकी बात और तथ्यों से पूरी तरह से सहमत हूं। व...मैं आपकी बात और तथ्यों से पूरी तरह से सहमत हूं। वैसे भी . डॉट का प्रयोग चुभोने के लिए भी होता है. यह चुभोना अंग्रेजी के लिए तो सही है, पर हिन्दी के लिए अवैज्ञानिक तो है ही, नैतिक नजरिये से भी उचित नहीं है। <BR/>अंग्रेजी में अंग्रेजी को अंग्रेजों को . चुभोते रहिये. पर हिन्दी तो आपकी अपनी आत्मा है, उसे मत चुभाइये। वहां पर तो पूर्णविराम ही लगाइये, जैसे मैं लगा रहा हूं।<BR/>- अविनाश वाचस्पतिAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2481504562817573054.post-38078883516311127022008-07-12T17:44:00.000+05:302008-07-12T17:44:00.000+05:30पहली बात यह की आपकी बात पूर्णतः सही है.दुसरी बात "...पहली बात यह की आपकी बात पूर्णतः सही है.<BR/><BR/><BR/>दुसरी बात "." का प्रयोग एक सुधार के रूप में शुरू हुआ है. अगर अंग्रेजी के साथ समस्या नहीं तो हिन्दी के साथ कैसे आएगी?<BR/><BR/><BR/>अगर "।" अलग से हिन्दी में तो यह इसकी समृद्धि है, उपयोग में लाया जाना चाहिए.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.com